सुषमा-दु:षमा
From जैनकोष
अवसर्पिणी का तीसरा काल । इसकी स्थिति दो कोड़ाकोड़ी सागर होती है । इस समय मनुष्यों की आयु एक पल्य शरीर की ऊँचाई एक कोश और वर्ण श्याम होता है । वे एक दिन के अंतर से आँवले के बराबर भोजन करते हैं । ज्योतिरंग जाति के कल्पवृक्षों का प्रकाश इस समय मंद हो जाता है । महापुराण 3.51-57, पद्मपुराण - 20.81, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.87, 98-100