सामान्य परिचय
तीर्थंकर क्रमांक |
6 |
चिह्न |
कमल |
पिता |
धरण |
माता |
सुसीमा |
वंश |
इक्ष्वाकु |
उत्सेध (ऊँचाई) |
250 धनुष |
वर्ण |
रक्त |
आयु |
30 लाख पूर्व |
पूर्व भव सम्बंधित तथ्य
पूर्व मनुष्य भव |
अपराजित |
पूर्व मनुष्य भव में क्या थे |
मण्डलेश्वर |
पूर्व मनुष्य भव के पिता |
सीमन्धर |
पूर्व मनुष्य भव का देश, नगर |
धात.वि.सुसीमा |
पूर्व भव की देव पर्याय |
ऊ.ग्रैवेयक |
गर्भ-जन्म कल्याणक सम्बंधित तथ्य
गर्भ-तिथि |
माघ कृष्ण 6 |
गर्भ-नक्षत्र |
चित्रा |
गर्भ-काल |
प्रात: |
जन्म तिथि |
कार्तिक कृष्ण 13 |
जन्म नगरी |
कौशाम्बी |
जन्म नक्षत्र |
चित्रा |
योग |
त्वष्ट्रयोग |
दीक्षा कल्याणक सम्बंधित तथ्य
वैराग्य कारण |
जातिस्मरण |
दीक्षा तिथि |
कार्तिक कृष्ण 13 |
दीक्षा नक्षत्र |
चित्रा |
दीक्षा काल |
अपराह्न |
दीक्षोपवास |
तृतीय भक्त |
दीक्षा वन |
मनोहर |
दीक्षा वृक्ष |
प्रियङ्गु |
सह दीक्षित |
1000 |
ज्ञान कल्याणक सम्बंधित तथ्य
केवलज्ञान तिथि |
वैशाख शुक्ल 10 |
केवलज्ञान नक्षत्र |
चित्रा |
केवलोत्पत्ति काल |
अपराह्न |
केवल स्थान |
कौशाम्बी |
केवल वन |
मनोहर |
केवल वृक्ष |
प्रियंगु |
निर्वाण कल्याणक सम्बंधित तथ्य
योग निवृत्ति काल |
1 मास पूर्व |
निर्वाण तिथि |
फाल्गुन कृष्ण 4 |
निर्वाण नक्षत्र |
चित्रा |
निर्वाण काल |
अपराह्न |
निर्वाण क्षेत्र |
सम्मेद |
समवशरण सम्बंधित तथ्य
समवसरण का विस्तार |
9 1/2 योजन |
सह मुक्त |
324 |
पूर्वधारी |
2300 |
शिक्षक |
269000 |
अवधिज्ञानी |
10000 |
केवली |
12000 |
विक्रियाधारी |
16800 |
मन:पर्ययज्ञानी |
10300 |
वादी |
9600 |
सर्व ऋषि संख्या |
330000 |
गणधर संख्या |
111 |
मुख्य गणधर |
चमर |
आर्यिका संख्या |
420000 |
मुख्य आर्यिका |
रतिषेणा |
मुख्य श्रोता |
धर्मवीर्य |
श्राविका संख्या |
500000 |
यक्ष |
मातङ्ग |
यक्षिणी |
अप्रतिचक्रेश्वरी |
आयु विभाग
आयु |
30 लाख पूर्व |
कुमारकाल |
7.5 लाख पूर्व |
विशेषता |
मण्डलीक |
राज्यकाल |
21.5 लाख पूर्व+16 पूर्वांग |
छद्मस्थ काल |
6 मास |
केवलिकाल |
1 लाख पू..–(16 पूर्वांग 6 मास) |
तीर्थ संबंधी तथ्य
जन्मान्तरालकाल |
90,000 करोड़ सागर +10 लाख पू. |
केवलोत्पत्ति अन्तराल |
9000 करोड़ सागर +4 पूर्वांग 8 1/2 वर्ष |
निर्वाण अन्तराल |
9000 करोड़ सागर |
तीर्थकाल |
9,000 करोड़ सागर +4 पूर्वांग |
तीर्थ व्युच्छित्ति |
❌ |
शासन काल में हुए अन्य शलाका पुरुष |
चक्रवर्ती |
❌ |
बलदेव |
❌ |
नारायण |
❌ |
प्रतिनारायण |
❌ |
रुद्र |
❌ |
म. पु./52 श्लोवक धातकीखण्डर के पूर्वविदेह में वत्सहका देश की सुसीमानगरी के अपराजित राजा थे (2-3)। फिर उपरिम ग्रैवेयक के प्रीतिंकरविमान में अहमिन्द्रे हुए (12-14)। वर्तमान भव में छठे तीर्थंकर हुए हैं। विशेष परिचय—देखें तीर्थंकर/5।
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