जघन्यशातकुंभ
From जैनकोष
एक व्रत । इसमें उपवास और पारणाओं का क्रम निम्न प्रकार रहता है―
उपवास पारणा
5 1
4 1
3 1
2 1
1 1
4 1
3 1
2 1
1 1
4 1
3 1
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1 1
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2 1
1 1
कुल 45 17 हरिवंशपुराण 34.77
एक व्रत । इसमें उपवास और पारणाओं का क्रम निम्न प्रकार रहता है―
उपवास पारणा
5 1
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3 1
2 1
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कुल 45 17 हरिवंशपुराण 34.77