धातकीखण्ड
From जैनकोष
आरम्भिक द्वीपों मे द्वितीय द्वीप । इसका विस्तार चार लाख योजन है । इसकी पूर्व दिशा में मन्दिर पर्वत है । महापुराण 6. 126,51.2,52.2, पद्मपुराण 12.22, हरिवंशपुराण 5.489, 54.17, पांडवपुराण 21.24-27 देखें द्वीप
आरम्भिक द्वीपों मे द्वितीय द्वीप । इसका विस्तार चार लाख योजन है । इसकी पूर्व दिशा में मन्दिर पर्वत है । महापुराण 6. 126,51.2,52.2, पद्मपुराण 12.22, हरिवंशपुराण 5.489, 54.17, पांडवपुराण 21.24-27 देखें द्वीप