न्याय विनिश्चय
From जैनकोष
आ.अकलंक भट्ट (ई0620-680) कृत यह न्यायविषयक ग्रन्थ है। आचार्य श्री ने इसे तीन प्रस्तावों में 480 संस्कृत श्लोकों द्वारा रचकर स्वयं ही संस्कृत में इस पर एक वृत्ति भी लिख दी है। इसके तीन प्रस्तावों में प्रत्यक्ष, अनुमान व प्रवचन ये तीन विषय निबद्ध हैं। इस ग्रन्थ पर आ.वादिराज सूरि (ई01010-1065) ने संस्कृत भाषा में एक विशद विवरण लिखा है। (सि.वि./प्र.58/पं.महेन्द्र) (ती./2/309)।