आशीर्वाद
From जैनकोष
यशस्वान् वर्तमानकालीन नौवें मनु थे । इनकी आयु कुमुद प्रमाण वर्ष और शरीर की ऊँचाई छ: सो पचास धनुष थी । इनके समय में प्रजा अपनी संतान का मुख देखने के साथ-साथ उन्हें आशीर्वाद देकर तथा क्षणभर ठहर कर मृत्यु को प्राप्त होती थी । आशीर्वाद देने की क्रिया उनके उपदेश से आरंभ हुई थी । इन्होंने प्रजा को पुत्र का नाम रखना भी सिखाया था । प्रजा ने प्रसन्न होकर इनका यशोगान किया था । (महापुराण 3. 125-128, पद्मपुराण 3. 86, हरिवंशपुराण 7.160, पांडवपुराण 2.106)