नन्दि संघ के देशीय गण की गुर्वावली के अनुसार (देखें इतिहास ) आप चन्द्रकीर्ति के शिष्य तथा शुभचन्द्र के गुरु थे। समय–वि01125-1155 (ई01068-1098); ( षट्खण्डागम 2/ प्र.10 H.L.Jain)–देखें इतिहास /7/5।
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