योगनिर्वाण संप्राप्ति
From जैनकोष
दीक्षान्वय की एक किया । यह योगों (ध्यान) के हटाने के लिए संवेगपूर्वक की गयी परम तप रूप एक किया है । इसमें राग आदि दोषों को छोड़ते हुए शरीर कृश किया जाता है । साधक सल्लेखना मे स्थिर होकर सांसारिकता से हटते हुए मोक्ष का ही चिंतन करता है । महापुराण 38. 59, 178-185