लवणसैंधव
From जैनकोष
लवणसमुद्र । इसके जल का स्वाद नमक के समान खारा होता है । इसके महामच्छों का सम्मूर्च्छन जन्म होता है । ये मच्छ इसके तट पर नौ योजन और मध्य में अठारह योजन लंबे होते हैं । तीर्थंकर वृषभदेव के राज्याभिषेक के लिए इस समुद्र का जल लाया गया था । महापुराण 16. 213, हरिवंशपुराण 5.628, 630, देखें लवणांभोघि