निकाय
From जैनकोष
( सर्वार्थसिद्धि/4/1/236/8 ) देवगतिनामकर्मोदयस्य स्वकर्मविशेषापादितभेदस्य सामर्थ्यांनिचीयंत इति निकाया: इति निकाया: संघाता इत्यर्थ:। =अपने अवांतर कर्मों से भेद को प्राप्त होने वाले देवगति नामकर्म के उदय की सामर्थ्य से जो संग्रह किये जाते हैं वे निकाय कहलाते हैं। ( राजवार्तिक/4/1/3/211/13 )।