निकाचित-कर्म
From जैनकोष
कर्मों का एक भेद । ऐसे कर्म जिनका फल नियम से भोगना ही पड़ता है । इनका अन्य प्रकृति रूप संक्रमण या उत्कर्षण नहीं किया जा सकता । पद्मपुराण - 72.97
कर्मों का एक भेद । ऐसे कर्म जिनका फल नियम से भोगना ही पड़ता है । इनका अन्य प्रकृति रूप संक्रमण या उत्कर्षण नहीं किया जा सकता । पद्मपुराण - 72.97