देश
From जैनकोष
- देश का लक्षण
- देश सामान्य
ध.१३/५,५,६३/३३५/३ अंग-बंग-कलिंग-मगधादओ देसी णाम।=अंग, बंग, कलिंग और मगध आदि देश कहलाते हैं।
- देश द्रव्य
पं.ध./पू./१४७ का भावार्थ–स्वद्रव्य, स्वक्षेत्र, स्वकाल तथा स्वभाव इन सबके समुदाय का नाम देश है।
- देश अवयव
रा.वा./७/२/१/५३५/१८ कृतश्चिदवयवाद् दिश्यत इति देश: प्रदेश:, एकदेश इत्यर्थ:। =कहीं पर देश शब्द अवयव अर्थ में होता है। जैसे–देश अर्थात् एक भाग।
ध.१३/५,३,१८/१८/६ एगस्स दव्वस्स देसं अवयवं। =एकद्रव्य का देश अर्थात् अवयव।
गो.क./जी.प्र./७८७/९५१/५ देशेन लेशेन एकमसंयमं दिशति परिहरतीति देशैकदेश: देशसंयत:। =देश कहिए लेश किंचित् एक जु है असंयत ताकौ परिहारे है ऐसा देशैकदेश कहिए देशसंयत।
- देशसम्यक्त्व
ध.१३/५,५,५९/३२३/७ देसं सम्मत्तं। =देश का अर्थ सम्यक्त्व है।
- देश सामान्य
- एकदेश लक्षण
पं.ध./पू./? नामैकदेशेन नामग्रहणं। =नाम के एकदेश ग्रहण से पूर्ण देश का ग्रहण हो जाता है, उसे एकदेश न्याय कहते हैं।