अयोग
From जैनकोष
यह मन-वचन-काय के परिस्पंदनरूप योग का विरोधी भाव है। अतः इसे अयोग कहा जाता है। अधिक जानकारी के लिए देखें योग -2.3
यह मन-वचन-काय के परिस्पंदनरूप योग का विरोधी भाव है। अतः इसे अयोग कहा जाता है। अधिक जानकारी के लिए देखें योग -2.3