ऐहिक फलानपेक्षा
From जैनकोष
दातारका पहला गुण कि वह इस लोकके फलकी इच्छा न करे कि मुझे धन, पुत्र व यश हो। (पु. श्लो. 169)
- देखें बृ जै. शब्दा. द्वि. खंड
दातारका पहला गुण कि वह इस लोकके फलकी इच्छा न करे कि मुझे धन, पुत्र व यश हो। (पु. श्लो. 169)
- देखें बृ जै. शब्दा. द्वि. खंड