स्थितिबंध प्ररूपणा
From जैनकोष
- मूलोत्तर प्रकृतियों की जघन्योत्कृष्ट आबाधा, व स्थिति तथा उनका स्वामित्व
- इंद्रिय मार्गणा की अपेक्षा प्रकृतियों का उ.ज.स्थिति की सारणी
- उत्कृष्ट व जघन्य स्थिति, प्रदेश व अनुभाग के बंधकों की प्ररूपणा
- अन्य प्ररूपणाओं संबंधी सूची
स्थितिबंध प्ररूपणा-
1. मूलोत्तर प्रकृतियों की जघन्योत्कृष्ट आबाधा, व स्थिति तथा उनका स्वामित्व-( तत्त्वार्थसूत्र/8/14-30 ), (मू.आ./1237-1239), ( पंचसंग्रह / प्राकृत/4/392-440 ), (पं.सं./सं./4/199-257), (शतक/54-64), ( धवला 6/146-198 ), ( धवला 12/490-497 ), ( महाबंध/2/24/17 ), ( गोम्मटसार कर्मकांड/128-133,139-140,129-132,140-141 ), ( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/252/519/2 ), ( तत्त्वसार/5/43-46 ) संकेत– * =पल्य/असं.से हीन
क्रं. | प्रकृति | उत्कृष्ट | जघन्य | |||||||||||||
काल | स्वामित्व | काल | स्वामित्व | |||||||||||||
धवला 6/ पृ. | धवला 12/ पृ. | आबाधा | स्थिति | पंचसंग्रह / प्राकृत/ गा. | गुणस्थान | विवरण | धवला 6/ पृ. | गोम्मट्सार मूलाचार | आबाधा | स्थिति | धवला 6/ पृ. | पं.सं/प्रा./गा. | विवरण | |||
सहस्र वर्ष | को.को.सागर | |||||||||||||||
(1) | ज्ञानावरणीय- | |||||||||||||||
मूल | 486 | 3 | 30 | 432 | 1 | चारों गति उत.व मध्य संक्लेश | गो.मू. | अंतर्मुहूर्त | अंतर्मुहूर्त | 433 | सूक्ष्म सांपराय | |||||
1-5 | पाँचों | 146 | 486 | 3 | 30 | 1 | 1 | चारों गति उत. व मध्य संक्लेश | 182 | अंतर्मुहूर्त | अंतर्मुहूर्त | 183 | 433 | सू.सा.क्षपक का अंतिम समय | ||
(2) | दर्शनावरणीय- | |||||||||||||||
1 | मूल | 486 | 3 | 30 | 1 | 1 | चारों गति उत. व मध्य संक्लेश | गो.मू. | अंतर्मुहूर्त | अंतर्मुहूर्त | 433 | सूक्ष्म सांपराय | ||||
1 | निद्रानिद्रा | 146 | 3 | 30 | 1 | 1 | चारों गति उत. व मध्य संक्लेश | 184 | गो.मू. | अंतर्मुहूर्त | 3/7सा* | 184 | 434 | सर्व विशुद्ध बादर एकेंद्रिय पर्याप्त | ||
2 | प्रचलाप्रचला | 146 | 3 | 30 | 1 | 1 | चारों गति उत. व मध्य संक्लेश | 184 | अंतर्मुहूर्त | 3/7सा* | 184 | 434 | सर्व विशुद्ध बादर एकेंद्रिय पर्याप्त | |||
3 | स्त्यानगृद्धि | 146 | 3 | 30 | 1 | 1 | चारों गति उत. व मध्य संक्लेश | 184 | अंतर्मुहूर्त | 3/7सा* | 184 | 434 | सर्व विशुद्ध बादर एकेंद्रिय पर्याप्त | |||
4 | निद्रा | 146 | 3 | 30 | 1 | 1 | चारों गति उत. व मध्य संक्लेश | 184 | अंतर्मुहूर्त | 3/7सा* | 184 | 434 | सर्व विशुद्ध बादर एकेंद्रिय पर्याप्त | |||
5 | प्रचला | 146 | 3 | 30 | 1 | 1 | चारों गति उत. व मध्य संक्लेश | 184 | अंतर्मुहूर्त | 3/7सा* | 184 | 434 | सर्व विशुद्ध बादर एकेंद्रिय पर्याप्त | |||
6 | चक्षुद. | 146 | 3 | 30 | 1 | 1 | चारों गति उत. व मध्य संक्लेश | 182 | अंतर्मुहूर्त | अंतर्मुहूर्त | 183 | 433 | सू.सा.क्षपक का अंतिम समय | |||
7 | अचक्षुद. | 146 | 3 | 30 | 1 | 1 | चारों गति उत. व मध्य संक्लेश | 182 | अंतर्मुहूर्त | अंतर्मुहूर्त | 183 | 433 | सू.सा.क्षपक का अंतिम समय | |||
8 | अवधिद. | 146 | 3 | 30 | 1 | 1 | चारों गति उत. व मध्य संक्लेश | 182 | अंतर्मुहूर्त | अंतर्मुहूर्त | 183 | 433 | सू.सा.क्षपक का अंतिम समय | |||
9 | केवलद. | 146 | 3 | 30 | 1 | 1 | चारों गति उत. व मध्य संक्लेश | 182 | अंतर्मुहूर्त | अंतर्मुहूर्त | 183 | 433 | सू.सा.क्षपक का अंतिम समय | |||
(3) | वेदनीय- | |||||||||||||||
1 | मूल | 3 | 30 | 432 | 1 | चारों गति उत. व मध्य संक्लेश | 182 | गो.मू. | अंतर्मुहूर्त | 12 मुहूर्त | 183 | |||||
1 | साता | 158 | 487 | 1 | 15 | 432 | 1 | चारों गति उत. व मध्य संक्लेश | 185 | अंतर्मुहूर्त | 12 मुहूर्त | 186 | 433 | सू.सा.क्षपक का अंतिम समय | ||
2 | असाता | 146 | 487 | 3 | 30 | 432 | 1 | चारों गति उत. व मध्य संक्लेश | 184 | अंतर्मुहूर्त | 3/7सा.* | 184 | 434 | सर्वविशुद्ध वा.एकेंद्रि.पर्याप्त | ||
(4) | मोहनीय- | |||||||||||||||
मूल | 7 | 70 | 432 | 1 | (विशेष देखें स्थिति - 4.3) | अंतर्मुहूर्त | अंतर्मुहूर्त | 434 | अनिवृत्तिकरण बादर संपराय | |||||||
दर्शनमोहनीय- | ||||||||||||||||
1 | मिथ्यात्व प्रकृति | 160 | 490 | 7 | 70 | 432 | 1 | चारों गति में उ.व म.संक्लेश | 186 | अंतर्मुहूर्त | 1/7सा.* | 187 | 434 | सर्वविशुद्ध बा. एकेंद्रिय प. | ||
2 | सम्यक्त्व प्रकृति/td> | 7 | 70 | 432 | 1 | चारों गति में उ.व म.सत्त्व | 187 | अंतर्मुहूर्त | 1/7सा.* | 434 | x | |||||
3 | सम्यग्मिथ्यात्व | 7 | 70 | 432 | 1 | चारों गति में उ.व म.सत्त्व | 187 | अंतर्मुहूर्त | 1/7सा.* | 434 | x | |||||
चारित्र मोहनीय- | ||||||||||||||||
मूल | 4 | 40 | 432 | 1 | चारों गति में उ.व म.सत्त्व | |||||||||||
1-4 | अनंतानुबंधी चतुष्क | 160 | 490 | 4 | 40 | 432 | 1 | चारों गति के उत्तम मध्यम संक्लेश | 187 | अंतर्मुहूर्त | 4/7 सा. | 188 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एकेंद्रिय प. | ||
8 | अप्रत्याख्यान चतुष्क | 160 | 490 | 4 | 40 | 432 | 1 | चारों गति के उत्तम मध्यम संक्लेश | 187 | अंतर्मुहूर्त | 4/7 सा. | 188 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एकेंद्रिय प. | ||
12 | प्रत्याख्यान चतुष्क | 160 | 490 | 4 | 40 | 432 | 1 | चारों गति के उत्तम मध्यम संक्लेश | 187 | अंतर्मुहूर्त | 4/7 सा. | 188 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एकेंद्रिय प. | ||
13 | संज्वलन क्रोध | 160 | 490 | 4 | 40 | 432 | 1 | चारों गति के उत्तम मध्यम संक्लेश | 188 | गो./140 | अंतर्मुहूर्त | 2 मास | 188 | 433 | अनिवृत्तिकरण क्षपक | |
14 | संज्वलन मान | 160 | 490 | 4 | 40 | 432 | 1 | चारों गति के उत्तम मध्यम संक्लेश | 188 | गो./140 | अंतर्मुहूर्त | 1 मास | 433 | अनिवृत्तिकरण क्षपक | ||
15 | संज्वलन माया | 160 | 490 | 4 | 40 | 432 | 1 | चारों गति के उत्तम मध्यम संक्लेश | 188 | गो./140 | अंतर्मुहूर्त | 1 पक्ष | 433 | अनिवृत्तिकरण क्षपक | ||
16 | संज्वलन लोभ | 160 | 490 | 4 | 40 | 432 | 1 | चारों गति के उत्तम मध्यम संक्लेश | 188 | गो./140 | अंतर्मुहूर्त | अंतर्मुहूर्त | 183 | 433 | (सूक्ष्म सांपराय मू.आ.) | |
नोकषाय- | ||||||||||||||||
1 | हास्य | 162 | 490 | 1 | 10 | 432 | 1 | चारों गति के उत्तम मध्यम संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एकेंद्रिय प. | ||
2 | रति | 162 | 490 | 1 | 10 | 432 | 1 | चारों गति के उत्तम मध्यम संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एकेंद्रिय प. | ||
3 | अरति | 163 | 490 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उत्तम मध्यम संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एकेंद्रिय प. | ||
4 | शोक | 163 | 490 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उत्तम मध्यम संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एकेंद्रिय प. | ||
5 | भय | 163 | 490 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उत्तम मध्यम संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एकेंद्रिय प. | ||
6 | जुगुप्सा | 163 | 490 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उत्तम मध्यम संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एकेंद्रिय प. | ||
7 | स्त्री वेद | 158 | 490 | 1 | 15 | 432 | 1 | चारों गति के उत्तम मध्यम संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एकेंद्रिय प. | ||
8 | पुरुष वेद | 162 | 490 | 1 | 10 | 432 | 1 | चारों गति के उत्तम मध्यम संक्लेश | 189 | गो./140 | 8 वर्ष | 433 | अनिवृत्तिकरण क्षपक | |||
9 | नपुंसक वेद | 163 | 490 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उत्तम मध्यम संक्लेश | 190 | 2/7सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एकेंद्रिय प. | |||
(5) | आयु- | |||||||||||||||
मूल | गो.मू. | 1/3पू.को. | 33 | 432 | 1 | चारों गति के उत्तम मध्यम संक्लेश | गो./140 | अंतर्मुहूर्त | अंतर्मुहूर्त | 434 | कर्मभूमिज मनुष्य तिर्यंच | |||||
1 | नरकायु | 166 | 1/3पू.को. | 33 | 431 | 1 | मनुष्य व संज्ञी प.पंचे. | 193 | गो./140 | अंतर्मुहूर्त | 10,000वर्ष | 193 | 434 | मि.संज्ञी पंचे.ति.संक्लेश परिणत या सर्वविशुद्ध संज्ञी पंचे.प.। | ||
2 | तिर्यंचायु | 169 | 1/3पू.को. | 3 पल्य | 431 | 1 | मनु.व संज्ञी प.पंचे. | 193 | गो./140 | अंतर्मुहूर्त | क्षुद्रभव | 434 | कर्मभूमिया मनुष्य व तिर्यंच संक्लेश युक्त | |||
3 | मनुष्यायु | 169 | 1/3पू.को. | 3 पल्य | 431 | 1 | मनु.व संज्ञी प.पंचे. | 193 | गो./140 | अंतर्मुहूर्त | क्षुद्रभव | 434 | कर्मभूमिया मनुष्य व तिर्यंच संक्लेश युक्त | |||
4 | देवायु | 166 | 1/3पू.को. | 33 सा. | 427 | 6 | प्रमत्त संयत | 193 | गो./140 | अंतर्मुहूर्त | 10,000वर्ष | 193 | 434 | संज्ञी व असंज्ञी तिर्यंच | ||
440 | सर्वविशुद्ध असंज्ञी तिर्यंच या संक्लेशयुक्त संज्ञी पर्याप्त | |||||||||||||||
(6) | नाम- | |||||||||||||||
मूल | 2 | 20 | 1 | गो./140 | अंतर्मुहूर्त | 8 मुहूर्त | ||||||||||
गति- | ||||||||||||||||
नरक | 163 | 492 | 2 | 20 | 431 | 1 | मनु.व ति.संज्ञी प.पंचें. | 194 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 194 | 434 | संक्लेशयुक्त असंज्ञी पंचें.प. | |||
तिर्यंच | 163 | 492 | 2 | 20 | 431 | 1 | देव, नारकी | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
मनुष्य | 158 | 493 | 1 | 15 | 432 | 1 | चारों गति के उत्तम मध्यम संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
देव | 162 | 493 | 1 | 10 | 431 | 1 | मनु.व ति.संज्ञी पं.प. | 194 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा. | 194 | 434 | सर्व विशुद्ध असंज्ञी पंचे. | |||
2 | जाति- | |||||||||||||||
एकेंद्रिय | 163 | 492 | 2 | 20 | 431 | 1 | ईशान देव | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
द्वींद्रिय | 172 | 493 | 1 | 18 | 431 | 1 | मनु.,ति.पं.प. | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
त्रींद्रिय | 172 | 493 | 1 | 18 | 431 | 1 | मनु.,ति.पं.प. | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
चतुरिंद्रिय | 172 | 493 | 1 | 18 | 431 | 1 | मनु.,ति.पं.प. | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
पंचेंद्रिय | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उत्तम मध्यम संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा. | 192 | 434 | ||||
3 | शरीर, बंधन, संघात- | |||||||||||||||
औदारिक | 163 | 2 | 20 | 431 | 1 | देव, नारकी | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||||
वैक्रियक | 163 | 2 | 20 | 431 | 1 | मनु.व ति.संज्ञी पं.प. | 194 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा. | 194 | 434 | सर्व विशुद्ध असंज्ञी पंचें. | ||||
आहारक | 174 | 495 | अंत. | अंत. | 427 | 7 | अप्रमत्त | 197 | गो./140 | अंतर्मुहूर्त | अंत को.को.सा. | 197 | 433 | अपूर्वकरण क्षपक के 1-7 भाग तक | ||
तैजस | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
कार्मण | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
4 | अंगोपांग- | |||||||||||||||
औदारिक | 163 | 492 | 2 | 20 | 431 | 1 | देव, नारकी | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
वैक्रियक | 163 | 492 | 2 | 20 | 431 | 1 | मनु.व ति.संज्ञी पं.प. | 194 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 194 | 434 | सर्व विशुद्ध असंज्ञी पंचें. | |||
आहारक | 174 | गो.मू.आ. | अंत. | अंतर्मुहूर्त | 427 | 7 | अप्रमत्त | 197 | अंतर्मुहूर्त | अंत को.को.सा. | 197 | 433 | अपूर्वकरण क्षपक के 1-7 भाग तक | |||
5 | निर्माण- | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
6 | बंधन | - | - | - | - | - | - | शरीरवत् | - | - | - | - | - | - | ||
7 | संघात | - | - | - | - | - | - | शरीरवत् | - | - | - | - | - | - | ||
8 | संस्थान- | |||||||||||||||
समचतुरस्र | 162 | 493 | 1 | 10 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 433 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
न्यग्रोध परिमंडल | 177 | 493 | 1 | 12 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 433 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
स्वाति | 178 | 493 | 1 | 14 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 433 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
कुब्जक | 179 | 493 | 1 | 16 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 433 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
वामन | 172 | 493 | 1 | 18 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 433 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
हुंडक | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 433 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
9 | संहनन- | |||||||||||||||
वज्रऋषभ-नाराच | 162 | 493 | 1 | 10 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 433 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
वज्रनाराच | 177 | 493 | 1 | 12 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 433 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
नाराच | 178 | 493 | 1 | 14 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 433 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
अर्धनाराच | 179 | 493 | 1 | 16 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
कीलित | 172 | 493 | 1 | 18 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
असंप्राप्तसृपाटिका | 163 | 492 | 2 | 20 | 431 | 1 | देव, नारकी | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
10 | स्पर्श (आठों) | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
11 | रस (पाँचों) | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
12 | गंध (दोनों) | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
13 | वर्ण (पाँचों) | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
14 | आनुपूर्वी- | |||||||||||||||
नरक | 163 | 492 | 2 | 20 | 431 | 1 | मनु.व ति.संज्ञी पं.प. | 194 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 194 | 434 | संक्लेश युक्त असंज्ञी पंचें.प. | |||
तिर्यंच | 163 | 492 | 2 | 20 | 431 | 1 | देव, नारकी | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
मनुष्य | 158 | 493 | 1 | 15 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
देव | 162 | 493 | 1 | 10 | 431 | 1 | मनु.व ति.संज्ञी पं.प. | 194 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 194 | 434 | सर्वविशुद्ध असंज्ञी पंचे.प. | |||
15 | अगुरुलघु | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
16 | उपघात | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
17 | परघात | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
18 | आतप | 163 | 492 | 2 | 20 | 431 | 1 | ईशान देव | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
19 | उद्योत | 163 | 492 | 2 | 20 | 431 | 1 | देव, नारकी | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
20 | उच्छ्वास | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
21 | विहायोगति- | |||||||||||||||
प्रशस्त | 162 | 493 | 1 | 10 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
अप्रशस्त | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
22 | प्रत्येक | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
23 | साधारण | 172 | 493 | 1 | 18 | 431 | 1 | मनु.व ति.संज्ञी पं.प. | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
24 | त्रस | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
25 | स्थावर | 163 | 492 | 2 | 20 | 431 | 1 | ईशान देव | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
26 | सुभग | 162 | 493 | 1 | 10 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
27 | दुर्भग | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
28 | सुस्वर | 162 | 493 | 1 | 10 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
29 | दु:स्वर | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
30 | शुभ | 162 | 493 | 1 | 10 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
31 | अशुभ | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
32 | सूक्ष्म | 172 | 493 | 1 | 18 | 431 | 1 | मनु.व संज्ञी तिलोयपण्णत्ति | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
33 | बादर | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 20 सा. | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
34 | पर्याप्त | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7 सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
35 | अपर्याप्त | 172 | 493 | 1 | 18 | 431 | 1 | मनु.व ति.संज्ञी पंचे.प. | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7 सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
36 | स्थिर | 162 | 493 | 1 | 10 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7 सा.* | 193 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
37 | अस्थिर | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7 सा.* | 193 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
38 | आदेय | 162 | 493 | 1 | 10 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7 सा.* | 193 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
39 | अनादेय | 163 | 492 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | अंतर्मुहूर्त | 2/7 सा.* | 193 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | ||
40 | यश:कीर्ति | 162 | 493 | 1 | 10 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 198 | अंतर्मुहूर्त | 8 मुहूर्त | 198 | 433 | सू.सा.क्षपक का अंतिम समय | ||
41 | अयश:कीर्ति | 163 | 492 | 1 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | 2/7 सा.* | 192 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.पर्या. | |||
42 | तीर्थंकरत्व | 174 | 495 | अंत: | अंतर्मुहूर्त | 427 | 4 | अविरत सम्यग्दृष्टि | 197 | अंतर्मुहूर्त | अंत.को.को.सा. | 197 | 433 | अपू.क्षपक का 1-7 भाग तक | ||
(7) | गोत्र- | |||||||||||||||
मूल | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | अंतर्मुहूर्त | 8 मुहूर्त | |||||||||
1 | उच्च | 162 | 497 | 1 | 10 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 198 | अंतर्मुहूर्त | 8 मुहूर्त | 189 | 433 | सू.सा.क्षपक का अंतिम समय | ||
2 | नीच | 163 | 497 | 2 | 20 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 190 | 2/7 सा.* | 190 | 434 | सर्व विशुद्ध बा.एके.प. | |||
(8) | अंतराय- | |||||||||||||||
मूल | 486 | 3 | 30 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | अंतर्मुहूर्त | अंतर्मुहूर्त | 433 | सू.सा.क्षपक का अंतिम समय | ||||||
पाँचों | 146 | 3 | 30 | 432 | 1 | चारों गति के उ.म.संक्लेश | 182 | अंतर्मुहूर्त | अंतर्मुहूर्त | 183 | 433 | सू.सा.क्षपक का अंतिम समय | ||||
संकेत-* पल्य के असं.से हीन |
2. इंद्रिय मार्गणा की अपेक्षा प्रकृतियों का उ.ज.स्थिति की सारणी - ( राजवार्तिक/8/14-20 ); ( महाबंध 2/24/17-29 ); ( धवला 6/196 )।
क्र. | प्रकृति | एकेंद्रिय | द्वींद्रिय | त्रींद्रिय | चतुरिंद्रिय | असंज्ञी पंचेंद्रिय | संज्ञी पंचेंद्रिय | ||||||
उत्कृष्ट | जघन्य | उत्कृष्ट | जघन्य | उत्कृष्ट | जघन्य | उत्कृष्ट | जघन्य | उत्कृष्ट | जघन्य | उत्कृष्ट | जघन्य | ||
सागर | सागर | सागर | सागर | सागर | सागर | सागर | सागर | सागर | सागर | सागर | अंतर्मुहूर्त | ||
1 | ज्ञानावरणीय | 3/7 | 3/7-पल्य/सं. | 75/7 | 75/7-पल्य/सं. | 150/7 | -पल्य/सं. | 300/7 | -पल्य/सं. | 3000/7 | -पल्य/सं. | 30 को.को. | 1 |
2 | दर्शनावरणीय | 3/7 | 3/7-पल्य/सं. | 75/7 | 75/7-पल्य/सं. | 150/7 | -पल्य/सं. | 300/7 | -पल्य/सं. | 3000/7 | -पल्य/अ. | 30 को.को. | 1 |
3 | वेदनीय | 3/7 | 3/7-पल्य/सं. | 75/7 | 75/7-पल्य/सं. | 150/7 | -पल्य/सं. | 300/7 | -पल्य/सं. | 3000/7 | -पल्य/सं. | 30 को.को. | 12 |
4 | दर्शनमोहनीय | 1 | 1-पल्य/सं. | 25 | 25-पल्य/सं. | 50 | 50-पल्य/सं. | 100 | 100-पल्य/सं. | 1000 | 1000-पल्य/सं. | 70 को.को. | 1 |
कषाय मोहनीय | 4/7 | 4/7-पल्य/सं. | 100/7 | 100/7-पल्य/सं. | 200/7 | 200/7-पल्य/सं. | 400/7 | 400/7-पल्य/सं. | 4000/7 | -पल्य/सं. | 40 को.को. | 1 | |
नोकषाय मोहनीय | 2/7 | 2/7-पल्य/सं. | 50/7 | 50/7-पल्य/सं. | 100/7 | 100/7-पल्य/सं. | 200/7 | 200/7-पल्य/सं. | 2000/7 | -पल्य/सं. | 40 को.को. | 1 | |
5 | आयु | - | - | - | - | देखें आयु | - | - | - | - | - | - | |
6 | नाम | 2/7 | -पल्य/सं. | 50/7 | -पल्य/सं. | 100/7 | --पल्य/सं. | 200/7 | 2-पल्य/सं. | 2000/7 | -पल्य/सं. | 20 को.को. | 8 |
7 | गोत्र | 2/7 | -पल्य/सं. | 50/7 | -पल्य/सं. | 100/7 | --पल्य/सं. | 200/7 | 2-पल्य/सं. | 2000/7 | -पल्य/सं. | 20 को.को. | 8 |
8 | अंतराय | 3/7 | 3/7-पल्य/सं. | 75/7 | 75/7-पल्य/सं. | 150/7 | -पल्य/सं. | 300/7 | -पल्य/सं. | 3000/7 | -पल्य/सं. | 30 को.को. | 1 |
3. उत्कृष्ट व जघन्य स्थिति, प्रदेश व अनुभाग के बंधकों की प्ररूपणा-
1. सारणी में प्रयुक्त संकेतों का अर्थ
- मारणांतिक समुद्घात रहित सप्तम पृथिवी की 500 धनुष अवगाहना वाला अंतिम समयवर्ती गुणित कर्मांशिक नारकी।
- सप्तम पृथिवी के प्रति मारणांतिक समुद्घात गत महामत्स्य।
- सूक्ष्म सांपराय के अंतिम समय तथा आगे के सर्वस्थान।
- द्विचरम वा त्रिचरम समय के पहले अंतर्मुहूर्त काल तक स्थित सप्तम पृथिवी का मिथ्यादृष्टि नारकी।
- लोकपूर्ण समुद्घात गत केवली।
- पूर्वकोटि के त्रिभाग प्रमाण आयु की आबाधा करके सप्तम नरक की आयु बाँधने वाला महामत्स्य।
- उत्कृष्ट मनुष्यायु सहित आयु बंध के प्रथम समय गत प्रमत्त संयत/7-11 गुणस्थान मनुष्य यदि पूर्व कोटि के त्रिभाग में देवायु को बाँधे।
- त्रिसमयवर्ती आहारक व तद्भवस्थ होने के तृतीय समय में वर्तमान जघन्य योगवाला सूक्ष्म निगोद लब्ध्यपर्याप्त जीव।
- क्षपित कर्मांशिक क्षीणकषायी 12वें गुणस्थान के अंतिम समयवर्ती संयत।
- चरम समयवर्ती क्षपित कर्मांशिक अयोग केवली।
- चरम समयवर्ती सामान्य कर्मांशिक अयोग केवली।
- असाता वेदनीय के उदय सहित क्षपक श्रेणी पर चढ़ा हुआ अंतिम समयवर्ती अयोग केवली।
- संज्ञी पंचेंद्रिय पर्याप्तक 500 धनुष अवगाहना वाला यदि तिर्यंच आयु बाँधे, नारकी जीव तेतीस सागर के भीतर असं-गुणहानियों को गलाकर दीपशिखाकार से स्थित। ( धवला 12/462/17 )।
- तिर्यंचायु बाँधने वाला अपर्याप्त।
- क्षपित कर्मांशिक सर्वविशुद्ध सूक्ष्म निगोद त्रि चरमसमय स्थित।
- बादर तेज व वायुकायिक पर्याप्त।
धवला 12/4,2,13,7/ पृ.सं. |
||||||||||||
प्रकृति | द्रव्य प्रदेशबंध |
क्षेत्र बंधक जीव की अवगाहना |
काल बंध की स्थिति |
भाव अनुभाग |
||||||||
प्रमाण | ज. | उ. | प्रमाण | ज. | उ. | प्रमाण | ज. | उ. | प्रमाण | ज. | उ. | |
ज्ञानावरणी | 377-446 | 9 | 1 | 381 | 8 | 2 | 387 | 9 | 1 | 391 | 9 | 4 |
दर्शनावरणी | 395 | 9 | 1 | 395 | 8 | 2 | 395 | 9 | 1 | 395 | 9 | 4 |
वेदनीय | 396-446 | 10 | 1 | 397 | 8 | 5 | 401 | 11 | 1 | 402 | 12 | 3 |
मोहनीय | 395 | 9 | 1 | 395 | 8 | 2 | 395 | 9 | 1 | 395 | 9 | 4 |
आयु | 405 | 13 | 6 | 405 | 8 | 5 | 409 | 10 | 7 | 411 | 14 | 7 |
नाम | 404 | 11 | 1 | 404 | 8 | 5 | 404 | 11 | 1 | 404 | 15 | 3 |
गोत्र | 404 | 11 | 1 | 404 | 8 | 5 | 404 | 11 | 1 | 404 | 16 | 3 |
अंतराय | 395 | 9 | 1 | 395 | 8 | 2 | 395 | 9 | 1 | 395 | 9 | 4 |
4. अन्य प्ररूपणाओं संबंधी सूची-(म.बं./पृ.सं./ )