मूड़बिद्री
From जैनकोष
दक्षिण के कर्नाटक देश में स्थित एक नगर है। होयसल नरेश बल्लाल देव के समय (ई. 1100) में यहाँ जैनधर्म का प्रभाव खूब बढ़ा चढ़ा था। ई.श. 13 में यहां तुलुब के आलूप नरेशों का तथा ई.श. 15 में विजयनगर के हिंदू नरेशों का राज्य रहा। यहां 18 मंदिर प्रसिद्ध हैं। जिनमें ‘गुरु बसदि’ नाम का मंदिर सिद्धांत अर्थात् शास्त्रों की रक्षा के कारण सिद्धांत मंदिर भी कहलाता है। ‘बिदिर’ का अर्थ कनाड़ी भाषा में बाँस है। बाँसों के समूह को छेदकर यहां के सिद्धांत मंदिर का पता लगाया गया था। जिससे इस ग्राम का नाम ‘बिदुरे’ प्रसिद्ध हुआ। कनाड़ी में ‘मूड़’ का अर्थ पूर्व दिशा है और पश्चिम दिशा का वाचक शब्द ‘पुडु’ है। यहाँ मूल्की नामक प्राचीन ग्राम ‘पुडुविदुरे’ कहलाता है। इसके पूर्व में होने के कारण यह ग्राम ‘मूड विदुरे’ या ‘मूड़विदिरे’ कहलाया। ‘वंश’ और ‘वेणु’ शब्द बाँस के पर्यायवाची हैं। इसी से इसका अपर नाम ‘वेणुपुर’ या ‘वंशपुर’ भी है। और अनेक साधुओं का निवास होने के कारण ‘व्रतपुर’ भी कहलाता है। ( धवला 3/ प्र.4/H.L.Jain)