नमस्कार-पद
From जैनकोष
नमस्कार (णमोकार) मंत्र । इसकी साधना में मस्तक पर सिद्ध और हृदय में अर्हंत परमेष्ठी को विराजमान कर आचार्य, उपाध्याय और साधु परमेष्ठी का ध्यान किया जाता है । इससे मोह और तज्जनित अज्ञ का विनाश हो जाता है । महापुराण 5.245-249 वीरवर्द्धमान चरित्र 18.9