निशुंभ
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
महापुराण/अधि./श्लोक
– दूरवर्ती पूर्व भव में राजसिंह नाम का बड़ा मल्ल था। (61/59-60)। अपर नाम मधुक्रीड था। पूर्व भव में पुंडरीक नामक नारायण के जीव का शत्रु था। (65/180)। वर्तमान भव में पाँचवाँ प्रतिनारायण हुआ – देखें शलाका पुरुष - 5।
पुराणकोष से
चौथा प्रतिनारायण यह पुंडरीक के साथ युद्ध करते हुए उसके द्वारा चलाये चक्र से निष्प्राण होकर नरक में गया । दूरवर्ती पूर्वभव में यह राजसिंह मल्ल था तथा यही राजसिंह हस्तिनापुर में मधुक्रीड प्रसिद्ध राजा हुआ । महापुराण 61.59, 74.75, 65.183 184; पद्मपुराण - 20.244,; हरिवंशपुराण 60.291, ; वीरवर्द्धमान चरित्र 18.114