प्रज्ञप्ति
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
- भगवान संभवनाथ की शासक यक्षिणी - देखें तीर्थंकर - 5.3 ।
- एक विद्या- देखें विद्या - 3 ।
पुराणकोष से
विद्याधरों की एक विद्या । इनसे विमानों का निर्माण किया जाता था । राम और लक्ष्मण ने इसी विद्या से विमान निर्मित करके अपनी सेना लंका भेजी थी । इससे रूप में भी यथेष्ट परिवर्तन किया जा सकता था । महापुराण 62.391, 522-523, 72, 78, 123 हरिवंशपुराण 27.131 रावण को भी यह विद्या प्राप्त थी । अर्चिमाली ने यह विद्या अपने पुत्र ज्वलनवेग को दी थी । वसुदेव को भी यह प्राप्त हो गयी थी । प्रद्युम्न ने इसे कनकमाला से प्राप्त किया था । पद्मपुराण - 7.325-332, हरिवंशपुराण 19.81-82, 27.131, 30. 37, 47.46-77