शंका
From जैनकोष
- नि.सा./ता.वृ./५ शंका हि सकलमोहरागद्वेषादय:। =शंका अर्थात् सकल मोहराग द्वेषादिक (दोष)।
- सामान्य अतिचार का एक भेद-देखें - अतिचार।
- लघु व दीर्घ शंका विधि- देखें - समिति / १ / ७
- सम्यग्दर्शन के शंका अतिचार व संशय मिथ्यात्व में अन्तर-देखें - संशय।
पं.ध./उ./४८१ शंका भी: साध्वसं भीतिर्भयमेकाभिधा अमी। =शंका, भी, साध्वस, भीति और भय ये शब्द एकार्थ वाचक हैं।
द.पा./पं.जयचन्द/२/१० शंका नाम संशय का भी है और भय का भी। और भी देखें - निशंकित।