अव्याबाधत्व
From जैनकोष
सिद्ध जीव के आठ गुणों में एक गुण― अन्य जीवों से अथवा अजीवों से अबाधित रहना । महापुराण 20.222-223, 43.98 इसके लिए ‘‘अव्याबाधाय नम:’’ यह पीठिका― मन्त्र है । महापुराण 2.222-223, 40.14,43.98
सिद्ध जीव के आठ गुणों में एक गुण― अन्य जीवों से अथवा अजीवों से अबाधित रहना । महापुराण 20.222-223, 43.98 इसके लिए ‘‘अव्याबाधाय नम:’’ यह पीठिका― मन्त्र है । महापुराण 2.222-223, 40.14,43.98