धर्मसिंह
From जैनकोष
एक मुनि । सुमुख सेठ और वनमाला ने इन्हें आहार देकर इनके सन्मुख अपने पाप की निन्दा की थी और प्रायश्चित्त ग्रहण किया था । महापुराण 70. 73
एक मुनि । सुमुख सेठ और वनमाला ने इन्हें आहार देकर इनके सन्मुख अपने पाप की निन्दा की थी और प्रायश्चित्त ग्रहण किया था । महापुराण 70. 73