यान
From जैनकोष
ध. १४/५, ६, ४१/३८/८ समुद्दमज्झे विविहभंडेहिं आवूरिदा संता जे गमणक्खमा वोहित्ता ते जाणा णाम। = नाना प्रकार के भाण्डों से आपूरित होकर भी समुद्र में गमन करने में समर्थ जो जहाज होते हैं वे यान कहलाते हैं।
ध. १४/५, ६, ४१/३८/८ समुद्दमज्झे विविहभंडेहिं आवूरिदा संता जे गमणक्खमा वोहित्ता ते जाणा णाम। = नाना प्रकार के भाण्डों से आपूरित होकर भी समुद्र में गमन करने में समर्थ जो जहाज होते हैं वे यान कहलाते हैं।