लोहाचार्य
From जैनकोष
- सुधर्माचार्य का अपरनाम था−देखें - सुधर्माचार्य।
- मूलसंघ की पट्टावली में इनकी गणना अष्टांगधारियों अथवा आचारांगधारियों में की गई है । इसके अनुसार इनका समय−वी. नि. ५१५-५६५ (ई. पू. १२-३८) प्राप्त होता है। ( देखें - इतिहास / ४ / ४ ); (ह. पु./प्र. ३/पं. पन्नालाल); (स. सि./प्र. ७८/पं. फूलचन्द); (कोश १/परिशिष्ट २/५)।
- नन्दिसंघ बलात्कारगण की पट्टावली के अनुसार ये उमास्वामी के शिष्य तथा यशः कीर्ति के गुरु थे। समय - शक सं. १४२-१५३ (ई. २२०-२३१); ( देखें - इतिहास / ७ / १ , २)।