षट्खंड
From जैनकोष
भरतादि १७० कर्मभूमियों रूप क्षेत्रों में से प्रत्येक में दो-दो नदियाँ व एक-एक विजयार्ध पर्वत हैं। जिनके कारण वह छह खण्डों में विभाजित हो जाता है। इन्हें ही षट् खण्ड कहते हैं। इनमें से एक आर्य व शेष पाँच म्लेच्छ खण्ड हैं। इन्हीं षट् खण्डों को चक्रवर्ती जीतता है। विजयार्ध तथा आर्य खण्ड सहित तीनों खण्डों को अर्धचक्रवर्ती जीतता है। - देखें - म्लेच्छ खण्ड।