सागर
From जैनकोष
- मध्यलोक में द्वीपों के वेष्टित करते हुए एक के पीछे एक करके असंख्यात सागर स्थित हैं- देखें - लोक / २ / ११ ।
- माल्यवान् गजदन्त पर स्थित एक कूट तथा नन्दनवन का एक कूट- देखें - लोक / ५ / १४ ।
- भूतकालीन द्वितीय तीर्थंकर- देखें - तीर्थंकर / ५ ।
- काल का एक प्रमाण- देखें - गणित / II / ७ / ५ ।