सागर
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
- मध्यलोक में द्वीपों के वेष्टित करते हुए एक के पीछे एक करके असंख्यात सागर स्थित हैं-देखें लोक - 2.11।
- माल्यवान् गजदंत पर स्थित एक कूट तथा नंदनवन का एक कूट-देखें लोक - 5.14।
- भूतकालीन द्वितीय तीर्थंकर-देखें तीर्थंकर - 5।
- काल का एक प्रमाण-देखें गणित - II.7.5।
पुराणकोष से
(1) सूर्यवंश में हुआ एक राजा । यह सुभद्र का पुत्र और भद्र का पिता था । पद्मपुराण - 5.6, हरिवंशपुराण - 13.9
(2) राजा उग्रसेन के छ: पुत्रों में पाँचवाँ पुत्र । वसुदेव ने कृष्ण जरासंध युद्ध में इसे राजा भोज का रक्षक नियुक्त किया था । हरिवंशपुराण - 48.39, 50. 118
(3) तीर्थंकरों की गर्भावस्था में उनकी माता द्वारा देखे गये सोलह स्वप्नों में एक स्वप्न-समुद्र । पद्मपुराण - 21.12-15
(4) राम का एक योद्धा । पद्मपुराण - 58.22
(5) दस कोड़ाकोड़ी पल्य प्रमाण काल । पद्मपुराण - 20.77
(6) एक मुनि । राजा हेमाभ की रानी यशस्वती ने इनसे सिद्धार्थ वन में व्रत लिये थे । महापुराण 71. 435-436
(7) राजगृह नगर का एक श्रावक । यह राजा सत्यंधर का पुरोहित था । श्रीमती इसकी स्त्री और बुद्धिषेण पुत्र था । महापुराण 75.257-259
(8) तीर्थंकर अजितनाथ का मुख्य प्रश्नकर्ता । महापुराण 76.529