साध्य सम
From जैनकोष
न्या.सू./मू./२/८ साध्याविशिष्ट: साध्यत्वात्साध्यसम:।८। =साध्य होने के कारण साध्य से जो अभिन्न है ऐसे हेतु को साध्यसम हेत्वाभास कहते हैं। [जैसे पर्वत वह्निमान् है, क्योंकि वह वह्निमान है।] (श्लो.वा.४/१/३३/न्या./२७३/४२६/२५)
न्या.सू./मू./२/८ साध्याविशिष्ट: साध्यत्वात्साध्यसम:।८। =साध्य होने के कारण साध्य से जो अभिन्न है ऐसे हेतु को साध्यसम हेत्वाभास कहते हैं। [जैसे पर्वत वह्निमान् है, क्योंकि वह वह्निमान है।] (श्लो.वा.४/१/३३/न्या./२७३/४२६/२५)