सूत्रपद
From जैनकोष
पारिव्राज्य । (दीक्षाग्रहण) क्रिया में जिन पर विचार किया जाता है ऐसे सत्ताईस सूत्रपद । वे निम्न प्रकार हैं― जाति, मूर्ति, उसमें रहने वाले लक्षण, शारीरिक सौन्दर्य, प्रभा, मण्डल, चक्र, अभिषेक, नाथता, सिंहासन, उपाधान, छत्र, चमर, घोषणा, अशोकवृक्ष, त्रिधि, गृहशोभा, अवगाहन, क्षेत्रज्ञ, आज्ञा, सभा, कीर्ति, वन्दनीयता, वाहन, भाषा, आहार और सुख । ये परमेष्ठी के गुण होते हैं । महापुराण 39.162-166