लोकपाल
From जैनकोष
== सिद्धांतकोष से ==
- लोकपाल निर्देश
सर्वार्थसिद्धि/4/4/239/5 अर्थचरा रक्षकसमाना लोकपालाः । लोकं पालयन्तीति लोकपालाः ।=जो रक्षक के समान अर्थचर हैं वे लोकपाल कहलाते हैं । तात्पर्य यह है कि जो लोक का पालन करते हैं वे लोकपाल कहलाते हैं ( राजवार्तिक/4/4/6/213/4 ); ( महापुराण/22/28 ) ।
तिलोयपण्णत्ति/3/66 चत्तारि लोयपाला सावण्णा होंति तंतवलाणं । तणुरक्खाण समाणा सरीररक्खा सुरा सव्वे ।66। = (इन्द्रों के परिवार में से) चारों लोकपाल तन्त्रपालों के सदृश... होते हैं ।
त्रिलोकसार भाषा/224 जैसे राजा का सेनापति तैसे इन्द्र के लोकपाल दिगीन्द्र हैं ।
- चारों दिशाओं के रक्षक चार लोकपाल
- इन्द्र की अपेक्षा
तिलोयपण्णत्ति/3/71 पत्तेक्कइंदयाणं सोमो यमवरुणधणदणामा य । पुव्वादि लोयपाला हवंति चत्तारि चत्तारि ।71। = प्रत्येक इन्द्र के पूर्वादि दिशाओं के रक्षक क्रम से सोम, यम, वरुण और धनद (कुबेर) नामक चार-चार लोकपाल होते हैं ।71।
- पूजा मण्डप की अपेक्षा
प्रतिष्ठासारोद्धार/3/187-188 पूर्वदिशा का इन्द्र ; आग्नेय का अग्नि, दक्षिण कायम; नैर्ऋत्य का नैर्ऋत्य, पश्चिम का वरुण, वायव्यका वायु, उत्तर का कुबेर, ईशान का सोम व धरणेन्द्र ।
- इन्द्र की अपेक्षा
- प्रतिष्ठा मण्डप के द्वारपालों का नाम निर्देश
प्रतिष्ठासारोद्धार/2/139 कुमुद, अञ्जन, वामन, पुष्पदन्त, नाग, कुबेर, हरितप्रभ, रत्नप्रभ, कृष्णप्रभव देव । - वैमानिक इन्द्रों के लोकपालों का परिवार
तिलोयपण्णत्ति/8/287-299 सौधर्म, ईशान, सनत्कुमार, माहेन्द्र, ब्रह्म, लांतव, महाशुक्र, सहस्रार और अग्नतादि चार इन सब इन्द्रों के चार-चार लोकपाल हैं−सोम, यम, वरुण व कुबेर। इन चारों का परिवार क्रम से निम्न प्रकार है−- देवियाँ−प्रत्येक की 3½ करोड़।
- आभ्यन्तर परिषद्−50, 50, 60, 70।
- मध्यम परिषद्−400, 400, 500, 600।
- बाह्य परिषद्−500, 500, 600, 700।
- चारों के ही अनीकों में सामन्त अपने-अपने इन्द्रों की अपेक्षा क्रम से 4000, 4000, 1000, 1000, 500, 400, 300, 200, 100 हैं।
- सभी इन्द्रों के चारों ही लोकपालों को प्रथम कक्ष में सामान्य = 28000 और शेष कक्षों में उत्तरोत्तर दूने-दूने हैं।
- वृषभादि −3556000।
- कुल अनीक−24892000।
- विमान−6666666।
- सौधर्म इन्द्र के लोकपाल द्विचरम शरीरी हैं
तिलोयपण्णत्ति/8/375-376 सक्को सहग्गमहिसी सलोयवालो...णियमा दुचरिमदेहा...। अग्रमहिषी और लोकपालों सहित सौधर्म इन्द्र.....नियम से द्विचरम शरीर हैं।
- अन्य सम्बन्धित विषय
- लोकपाल देव सामान्य के 10 विकल्पों में से एक है−देखें देव - 1।
- भवनवासी व वैमानिक इन्द्रों के परिवारों में लोकपालों का निर्देशादि।−देखें भवनवासी आदि भेद ।
- जन्म, शरीर, आहार, सुख, दुःख, सम्यक्त्व आदि विषयक।−देखें दे - II.2।
पुराणकोष से
(1) इन्द्र द्वारा नियुक्त लोक-रक्षक । ये चार हैं― सोम, यम, वरुण और कुबेर । प्रत्येक दिशा में एक होने से में चारों दिशाओं में चार होते हैं । प्रत्येक लोकपाल की बत्तीस देवियां होती है । महापुराण 10. 192, 22.28, पद्मपुराण 7.28, हरिवंशपुराण 5.323-327, वीरवर्द्धमान चरित्र 6.132-133
(2) जम्बूद्वीप की पुण्डरीकिणी नगरी के राजा प्रजापाल का पुत्र । इसकी दो बहिनें थीं― गुणवती और यशस्वती । इसके पिता इसे राज्य देकर संयमी हो गये थे । महापुराण 46.19-20, 45-48, 51
(3) चन्द्राभनगर के राजा धनपति तथा रानी तिलोत्तमा का पुत्र । इसकी पद्मोत्तम बहिन तथा इकतीस भाई थे । बहिन जीवन्धर को दी गयी थी । महापुराण 75.390-391, 399-401