देखें निद्रा ।
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दर्शनावरण कर्म की उत्तर प्रकृतियों में एक प्रकृति इसके उदय से जीव जागकर और असाधारण कार्य करके पुन: सो जाता है । वृषभदेव ने इसका नाश किया था । महापुराण 257 देखें दर्शनावरण