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- 19:13, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs created page File:नि कांक्षित अंग सती अनन्तमती.jpeg (source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-14.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 2. नि:कांक्षित अंग/पिछला पैर:- धर्म को धारण करके संसार के सुखों की वांछा( इच्छा) नहीं करना नि:कांक्षित अंग है। हमारा पिछला पैर नि:कांक्षित अंग है।जैसे हम पहला पैर शंकारहित होकर रखते हैं वैसे ही पिछला पैर बिना किसी आकांक्षा के उपेक्षा से हटाते हैं।इसी प्रकार सम्यग्दृष्टि पुरुष मोक्षमार्ग में बिना किसी आकांक्षा के आगे बढता जाता है। निःकांक्षित अंग में अनन्तमती प्रसिद्द...)