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- 22:36, 22 March 2023 Sunehanayak talk contribs created page File:Gunsthaan.png (14 गुणस्थान Source: Google)
- 22:36, 22 March 2023 Sunehanayak talk contribs uploaded File:Gunsthaan.png (14 गुणस्थान Source: Google)
- 22:28, 22 March 2023 Sunehanayak talk contribs created page File:कर्म.jpg (8 कर्म Source: Google)
- 22:28, 22 March 2023 Sunehanayak talk contribs uploaded File:कर्म.jpg (8 कर्म Source: Google)
- 22:09, 22 March 2023 Sunehanayak talk contribs created page File:Muni.jpeg (Source: Google)
- 22:09, 22 March 2023 Sunehanayak talk contribs uploaded File:Muni.jpeg (Source: Google)
- 12:28, 19 March 2023 Rohitjn675 talk contribs created page Testcronjob (Created page with "Hello TEST CRON JOB SAMPLE PAGE")
- 21:28, 28 February 2023 Vikasnd talk contribs uploaded a new version of File:GK-Shivir3-Full.pdf
- 14:00, 23 February 2023 Vikasnd talk contribs created page SujataTai (Created page with "#REDIRECT {{https://www.jainkosh.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B0._%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A4%BE_%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%88,_%E0%A4%95%E0%A5%81%E...")
- 03:09, 17 February 2023 Amitjain talk contribs created page Image-sample-anu (Created page with " == सिद्धांतकोष से == <p class="HindiText">किसी बात को पुनः-पुनः चिंतवन करते रहना...")
- 19:29, 16 February 2023 Amitjain talk contribs uploaded a new version of File:3 सिंह.jpg
- 19:27, 16 February 2023 Amitjain talk contribs created page File:दो स्वर्ण कलश.jpg
- 19:27, 16 February 2023 Amitjain talk contribs uploaded File:दो स्वर्ण कलश.jpg
- 19:23, 16 February 2023 Amitjain talk contribs created page File:789px-10. लोक भावना.jpg
- 19:23, 16 February 2023 Amitjain talk contribs uploaded File:789px-10. लोक भावना.jpg
- 15:56, 13 February 2023 Vikasnd talk contribs moved page ब्रह्मसुत्र to ब्रह्मसूत्र without leaving a redirect
- 21:08, 12 February 2023 Sunehanayak talk contribs created page File:आचार्य.jpg (Source: Self)
- 21:08, 12 February 2023 Sunehanayak talk contribs uploaded File:आचार्य.jpg (Source: Self)
- 21:01, 12 February 2023 Sunehanayak talk contribs created page File:अकलंक.jpg (Source: Google)
- 21:01, 12 February 2023 Sunehanayak talk contribs uploaded File:अकलंक.jpg (Source: Google)
- 20:52, 12 February 2023 Sunehanayak talk contribs created page File:अक्षत.jpg (पूजा के जल, गंध, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य, दीप, धूप और फल - इन अष्ट द्रव्यों में एक द्रव्य । Source: Google)
- 20:52, 12 February 2023 Sunehanayak talk contribs uploaded File:अक्षत.jpg (पूजा के जल, गंध, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य, दीप, धूप और फल - इन अष्ट द्रव्यों में एक द्रव्य । Source: Google)
- 20:24, 12 February 2023 Sunehanayak talk contribs created page File:टोडरमल.jpg (Source: Google)
- 20:24, 12 February 2023 Sunehanayak talk contribs uploaded File:टोडरमल.jpg (Source: Google)
- 20:32, 6 February 2023 Trupti Jain talk contribs changed group membership for Vandana Jain from (none) to automoderated user
- 19:53, 4 February 2023 Trupti Jain talk contribs changed group membership for Prachi jain from (none) to automoderated user
- 19:17, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs created page File:नि शंकित अंग अंजन चोर.jpeg (source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/8-Ang-Ki-Kathaye.aspx सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 1. नि:शंकित अंग/पहला पैर, जिनेन्द्र भगवान के द्वारा कहे गये वचनों में सन्देह नहीं करना नि:शंकित अंग है। नि:शंकित अंग पहला पैर है।जब हम चलना चाहते हैं तो बिना किसी शंका के पूरे उत्साह के साथ पहला कदम रखते हैं।उसी प्रकार सबसे पहले जो शंका और भय से रहित होकर धर्म क्षेत्र में प्रवृत्त होता है उसी का नाम नि:शंकित अंग है। निशंकित अंग में अंजन चोर प्रसिद्द हुआ।)
- 19:17, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs uploaded File:नि शंकित अंग अंजन चोर.jpeg (source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/8-Ang-Ki-Kathaye.aspx सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 1. नि:शंकित अंग/पहला पैर, जिनेन्द्र भगवान के द्वारा कहे गये वचनों में सन्देह नहीं करना नि:शंकित अंग है। नि:शंकित अंग पहला पैर है।जब हम चलना चाहते हैं तो बिना किसी शंका के पूरे उत्साह के साथ पहला कदम रखते हैं।उसी प्रकार सबसे पहले जो शंका और भय से रहित होकर धर्म क्षेत्र में प्रवृत्त होता है उसी का नाम नि:शंकित अंग है। निशंकित अंग में अंजन चोर प्रसिद्द हुआ।)
- 19:13, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs created page File:नि कांक्षित अंग सती अनन्तमती.jpeg (source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-14.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 2. नि:कांक्षित अंग/पिछला पैर:- धर्म को धारण करके संसार के सुखों की वांछा( इच्छा) नहीं करना नि:कांक्षित अंग है। हमारा पिछला पैर नि:कांक्षित अंग है।जैसे हम पहला पैर शंकारहित होकर रखते हैं वैसे ही पिछला पैर बिना किसी आकांक्षा के उपेक्षा से हटाते हैं।इसी प्रकार सम्यग्दृष्टि पुरुष मोक्षमार्ग में बिना किसी आकांक्षा के आगे बढता जाता है। निःकांक्षित अंग में अनन्तमती प्रसिद्द...)
- 19:13, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs uploaded File:नि कांक्षित अंग सती अनन्तमती.jpeg (source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-14.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 2. नि:कांक्षित अंग/पिछला पैर:- धर्म को धारण करके संसार के सुखों की वांछा( इच्छा) नहीं करना नि:कांक्षित अंग है। हमारा पिछला पैर नि:कांक्षित अंग है।जैसे हम पहला पैर शंकारहित होकर रखते हैं वैसे ही पिछला पैर बिना किसी आकांक्षा के उपेक्षा से हटाते हैं।इसी प्रकार सम्यग्दृष्टि पुरुष मोक्षमार्ग में बिना किसी आकांक्षा के आगे बढता जाता है। निःकांक्षित अंग में अनन्तमती प्रसिद्द...)
- 12:54, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs created page File:निर्विचिकित्सा अंग राजा उद्दायन.jpeg (source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-13.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 3. निर्विचिकित्सा अंग/बाँया हाथ:- मुनियों के मैले शरीर को देखकर ग्लानि नहीं करना निर्विचिकित्सा अंग है। हमारा बाँया हाथ निर्विचिकित्सा अंग है। मनुष्य बाँये हाथ से बिना किसी ग्लानि के अपना मल धोता है।उसी प्रकार सम्यग्दृष्टि मनुष्य स्वभाव से अपवित्र होते हुए भी रत्नत्रय से पवित्र सन्तों से ग्लानि नहीं करता। निर्विचिकित्सा अंग में राजा उद्दायन प्रसिद्द हुए।)
- 12:54, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs uploaded File:निर्विचिकित्सा अंग राजा उद्दायन.jpeg (source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-13.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 3. निर्विचिकित्सा अंग/बाँया हाथ:- मुनियों के मैले शरीर को देखकर ग्लानि नहीं करना निर्विचिकित्सा अंग है। हमारा बाँया हाथ निर्विचिकित्सा अंग है। मनुष्य बाँये हाथ से बिना किसी ग्लानि के अपना मल धोता है।उसी प्रकार सम्यग्दृष्टि मनुष्य स्वभाव से अपवित्र होते हुए भी रत्नत्रय से पवित्र सन्तों से ग्लानि नहीं करता। निर्विचिकित्सा अंग में राजा उद्दायन प्रसिद्द हुए।)
- 12:52, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs created page File:अमूढदृष्टि अंग रेवती रानी.jpeg (source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-12.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 4. अमूढदृष्टि अंग/दाहिना हाथ :- साँचे और झूठे तत्वों की पहचान कर मूढताओं में नहीं फँसना अमूढदृष्टि अंग है। हमारा दाहिना हाथ अमूढदृष्टि अंग है।किसी बात को दृढता पूर्वक महिमा मण्डित करने के लिये हम दाहिना हाथ ही उठाते हैं -उसी प्रकार धर्म क्षेत्र में भी यही है,ऐसा ही है,अन्य नहीं -इस प्रकार की दृढता का सूचक अमूढदृष्टि अंग हमारे दाहिने हाथ के समान है। अमूढ़दृष्टि अंग में...)
- 12:52, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs uploaded File:अमूढदृष्टि अंग रेवती रानी.jpeg (source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-12.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 4. अमूढदृष्टि अंग/दाहिना हाथ :- साँचे और झूठे तत्वों की पहचान कर मूढताओं में नहीं फँसना अमूढदृष्टि अंग है। हमारा दाहिना हाथ अमूढदृष्टि अंग है।किसी बात को दृढता पूर्वक महिमा मण्डित करने के लिये हम दाहिना हाथ ही उठाते हैं -उसी प्रकार धर्म क्षेत्र में भी यही है,ऐसा ही है,अन्य नहीं -इस प्रकार की दृढता का सूचक अमूढदृष्टि अंग हमारे दाहिने हाथ के समान है। अमूढ़दृष्टि अंग में...)
- 12:51, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs created page File:उपगूहन अंग जिनेन्द्रभक्त सेठ.jpeg (source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-11.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 5. उपगूहन अंग/ नितम्ब :- अपने गुणों को और पर के अवगुणों को प्रकट नहीं करना और अपने धर्म को बताना उपगूहन अंग है। हमारे शरीर में नितम्ब उपगूहन अंग की तरह है।हम नितम्ब को ढककर रखते हैं -अनावृत नहीं करते क्योंकि ऐसा करना लज्जाजनक है।इसी प्रकार ज्ञानी जन दूसरों के दोषों को प्रकट नहीं करते। जिनेन्द्रभक्त सेठ उपगूहन अंग में प्रसिद्द हुए।)
- 12:51, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs uploaded File:उपगूहन अंग जिनेन्द्रभक्त सेठ.jpeg (source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-11.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 5. उपगूहन अंग/ नितम्ब :- अपने गुणों को और पर के अवगुणों को प्रकट नहीं करना और अपने धर्म को बताना उपगूहन अंग है। हमारे शरीर में नितम्ब उपगूहन अंग की तरह है।हम नितम्ब को ढककर रखते हैं -अनावृत नहीं करते क्योंकि ऐसा करना लज्जाजनक है।इसी प्रकार ज्ञानी जन दूसरों के दोषों को प्रकट नहीं करते। जिनेन्द्रभक्त सेठ उपगूहन अंग में प्रसिद्द हुए।)
- 12:49, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs created page File:स्थितिकरण अंग वारिषेण मुनिराज.jpeg (source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-10.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 6. स्थितिकरण अंग/ पीठ :- काम- विकार आदि के कारण धर्म से भ्रष्ट होते हुए को फिर से धर्म में स्थित कर देना स्थितिकरण अंग है। हमारी पीठ स्थितिकरण अंग की भाँति है।जिस प्रकार हम पीठ पर अधिकतम बोझा रखकर उसे नीचे गिरने नहीं देते -उसी प्रकार सम्यग्दृष्टि भी स्व तथा पर को धर्म में स्थित करके रखता है तथा उसे नीचे गिरने नहीं देता है। स्थितिकरण अंग में वारिषेण मुनि प्रसिद्द हुए।)
- 12:49, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs uploaded File:स्थितिकरण अंग वारिषेण मुनिराज.jpeg (source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-10.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 6. स्थितिकरण अंग/ पीठ :- काम- विकार आदि के कारण धर्म से भ्रष्ट होते हुए को फिर से धर्म में स्थित कर देना स्थितिकरण अंग है। हमारी पीठ स्थितिकरण अंग की भाँति है।जिस प्रकार हम पीठ पर अधिकतम बोझा रखकर उसे नीचे गिरने नहीं देते -उसी प्रकार सम्यग्दृष्टि भी स्व तथा पर को धर्म में स्थित करके रखता है तथा उसे नीचे गिरने नहीं देता है। स्थितिकरण अंग में वारिषेण मुनि प्रसिद्द हुए।)
- 12:47, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs created page File:वात्सल्य अंग विष्णुकुमार मुनि.jpeg (source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-9.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 7. वात्सल्य अंग/हृदय :- अपने सहधर्मियों से बछड़े पर गाय के प्रेम के समान निष्कपट प्रेम करना वात्सल्य अंग है। हमारे शरीर का हृदय वात्सल्य अंग की भाँति है।जिसके हृदय में धर्मात्माओं के प्रति अनुराग होता है वही वात्सल्य अंग का धारक होता है। वात्सल्य अंग में विष्णुकुमार मुनि प्रसिद्द हुए।)
- 12:47, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs uploaded File:वात्सल्य अंग विष्णुकुमार मुनि.jpeg (source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-9.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 7. वात्सल्य अंग/हृदय :- अपने सहधर्मियों से बछड़े पर गाय के प्रेम के समान निष्कपट प्रेम करना वात्सल्य अंग है। हमारे शरीर का हृदय वात्सल्य अंग की भाँति है।जिसके हृदय में धर्मात्माओं के प्रति अनुराग होता है वही वात्सल्य अंग का धारक होता है। वात्सल्य अंग में विष्णुकुमार मुनि प्रसिद्द हुए।)
- 12:45, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs created page File:प्रभावना अंग वज्रकुमार मुनि.jpeg (source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-8.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 8.प्रभावना अंग/ मस्तक :- जैन धर्म का प्रचार करते हुए अपनी आत्मा को रत्नत्रय से सुशोभित करना, सजाना प्रभावना अंग है। हमारा सिर अंग प्रभावना अंग की तरह है।जैसे शरीर में हमारे चेहरे का,मस्तक का प्रभाव पड़ता है वैसे ही धर्म की प्रभावना से दूसरों पर प्रभाव पड़ता है।प्रभावना अंग में वज्रकुमार मुनि प्रसिद्द हुए।)
- 12:45, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs uploaded File:प्रभावना अंग वज्रकुमार मुनि.jpeg (source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-8.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 8.प्रभावना अंग/ मस्तक :- जैन धर्म का प्रचार करते हुए अपनी आत्मा को रत्नत्रय से सुशोभित करना, सजाना प्रभावना अंग है। हमारा सिर अंग प्रभावना अंग की तरह है।जैसे शरीर में हमारे चेहरे का,मस्तक का प्रभाव पड़ता है वैसे ही धर्म की प्रभावना से दूसरों पर प्रभाव पड़ता है।प्रभावना अंग में वज्रकुमार मुनि प्रसिद्द हुए।)
- 12:43, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs created page File:सम्यग्दर्शन के आठ अंग 3.jpg (source: https://nikkyjain.github.io/jainDataBase/poojas/07_%E0%A4%9B%E0%A4%B9%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE/02_%E0%A4%9B%E0%A4%B9%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE--%E0%A4%AA%E0%A4%82-%E0%A4%A6%E0%A5%8C%E0%A4%B2%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE/images/3.12.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार)
- 12:43, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs uploaded File:सम्यग्दर्शन के आठ अंग 3.jpg (source: https://nikkyjain.github.io/jainDataBase/poojas/07_%E0%A4%9B%E0%A4%B9%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE/02_%E0%A4%9B%E0%A4%B9%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE--%E0%A4%AA%E0%A4%82-%E0%A4%A6%E0%A5%8C%E0%A4%B2%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE/images/3.12.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार)
- 12:41, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs created page File:सम्यग्दर्शन के आठ अंग 2.jpeg (source: https://nikkyjain.github.io/jainDataBase/poojas/07_%E0%A4%9B%E0%A4%B9%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE/02_%E0%A4%9B%E0%A4%B9%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE--%E0%A4%AA%E0%A4%82-%E0%A4%A6%E0%A5%8C%E0%A4%B2%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE/images/3.11.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार)
- 12:41, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs uploaded File:सम्यग्दर्शन के आठ अंग 2.jpeg (source: https://nikkyjain.github.io/jainDataBase/poojas/07_%E0%A4%9B%E0%A4%B9%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE/02_%E0%A4%9B%E0%A4%B9%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE--%E0%A4%AA%E0%A4%82-%E0%A4%A6%E0%A5%8C%E0%A4%B2%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE/images/3.11.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार)
- 12:39, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs created page File:सम्यग्दर्शन के आठ अंग.jpg (source: https://vidyasagarmedia.s3.us-east-2.amazonaws.com/monthly_2020_10/1933056985_sakriyasamyakdarshan-1.thumb.jpg.965e042093184f9607d4bdaf34eb0cea.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार)
- 12:39, 30 January 2023 Sanjolikandya talk contribs uploaded File:सम्यग्दर्शन के आठ अंग.jpg (source: https://vidyasagarmedia.s3.us-east-2.amazonaws.com/monthly_2020_10/1933056985_sakriyasamyakdarshan-1.thumb.jpg.965e042093184f9607d4bdaf34eb0cea.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार)
- 17:48, 21 January 2023 J2jinendra talk contribs created page Test 5b (Created page with "{| class="wikitable" |+ |- !अपवाद संख्या !! अपवाद गत 41 प्रकृतियाँ |- | 1 || साता, असाता व मन...")
- 16:12, 20 January 2023 Vikasnd talk contribs created page File:3.7 कर्मकांड गाथा 947-972 (Chap9).pptx-color.pdf (गोम्मटसार कर्मकाण्ड गाथा 947-972 (अधिकार 9 - कर्म स्थिति रचना सद्भाव अधिकार))