मुमुक्षु
From जैनकोष
स्वयंभू स्तोत्र/ टी./3/7 मोक्तुमिच्छुर्मुमुक्षु:। = मोक्ष की इच्छा करने वाला मुमुक्षु है।
अनगारधर्मामृत/1/11/34 स्वार्थैकमतयो भांतु मा भांतु घटदीपवत्। परार्थे स्वार्थमतयो ब्रह्मवद्भांत्वहर्दिवम्।11। = मुमुक्षु तीन प्रकार के होते हैं–एक तो परोपकार को प्रधान रखकर स्वोपकार करने वाले, दूसरे स्वोपकार को प्रधान रखकर स्वोपकार करने वाले और तीसरे केवल स्वोपकार करने वाले–विशेष देखें उपकार - 9।