रौद्रभूति
From जैनकोष
कौशांबी नगरी के राजा विश्वानल और रानी प्रतिसंध्या का पुत्र । यह काकोनद म्लेच्छों का स्वामी था । यह लक्ष्मण के आगे नतमस्तक हो गया था । राम ने इससे बालखिल्य को बंधनमुक्त कराया था । इसके पश्चात् यह बालखिल्य का मित्र बन गया था । अपना समस्त धन बालखिल्य को देकर यह उसका आज्ञाकारी हो गया था । पद्मपुराण 34.76-78, 84, 91, 98, 104-105