दोष
From जैनकोष
- सम्यक्त्व के २५ दोष निर्देश–देखें - सम्यग्दर्शन I/२।
- संसारियों के अठारह दोष– देखें - अर्हंत / ३ ।
- आप्त में से सर्वदोषों का अभाव सम्भव है।– देखें - मोक्ष / ६ / ४ ।
- आहार सम्बन्धी ४६ दोष– देखें - आहार / II / ४ ।
- न्याय सम्बन्धी दोष– देखें - न्याय / १ ।
- जीव के दोष रागादि हैं
स.श./टी./५/२२५/३ दोषाश्च रागादय:। =रागादि दोष कहलाते हैं। (पं.ध./उ./६०३)
द्र.सं./टी./१४/४६/११ निर्दोषपरमात्मनो भिन्ना रागादयो दोषा:। निर्दोष परमात्मा से भिन्न रागादि दोष कहलाते हैं।