धीर
From जैनकोष
नि.सा./ता.वृ./७३ निखिलघोरोपसर्गविजयोपार्जितधीरगुणगम्भीरा:।=समस्त घोर उपसर्गों पर विजय प्राप्त करते हैं, इसलिए धीर और गुणगम्भीर (वे आचार्य) होते हैं। भा.पा./टी./४३/१५६/१२ ध्येयं प्रति धियं बुद्धिमीरयति प्रेरयतीति धीर इति व्युपदिश्यते।=ध्येयों के प्रति जिनकी बुद्धि गमन करती है या प्रेरणा करती है उन्हें धीर कहते हैं।