परिव्राजक
From जैनकोष
(1) काषायवस्त्रधारी साधु । ऐसा साधु संसार के कारण स्वरूप परिग्रह को त्याग कर मुक्तिमार्ग का पथिक हो जाता है । पद्मपुराण - 3.293,पद्मपुराण - 109.86, हरिवंशपुराण - 21.134
(2) एक मत । इसे मरीचि ने चलाया था । पद्मपुराण - 85.44
(1) काषायवस्त्रधारी साधु । ऐसा साधु संसार के कारण स्वरूप परिग्रह को त्याग कर मुक्तिमार्ग का पथिक हो जाता है । पद्मपुराण - 3.293,पद्मपुराण - 109.86, हरिवंशपुराण - 21.134
(2) एक मत । इसे मरीचि ने चलाया था । पद्मपुराण - 85.44