समुद्रविजय
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
हरिवंशपुराण/सर्ग/श्लोक अंधकवृष्णिका पुत्र था। तथा कृष्ण के ताऊ थे। (18/12-14) नेमिनाथ भगवान् के पिता थे (38/9;48/43-44) अंत में दीक्षा धारणकर (61/9) गिरनार पर्वत पर से मोक्ष प्राप्त किया (65/16)।
पुराणकोष से
(1) बाईसवें तीर्थंकर नेमिनाथ के पिता । ये शौरीपुर के राजा अंधकवृष्णि और सुभद्रा के दस पुत्रों में प्रथम पुत्र थे । शिवदेवी इनकी रानी थी । इनके नौ छोटे भाई थे, जिनमें वसुदेव सबसे छोटे थे । भाइयों के नाम थे― स्तिमितसागर, हिमवान्, विजय, अचल, धारण, पूरण, पूरितार्थीच्छ, अभिनंदन और वसुदेव । इनके अनेक पुत्र थे जिनमें कुछ सदस्य पुत्रों के नाम निम्न प्रकार है― महानेमि, सत्यनेमि, दृढ़नेमि, अरिष्टनेमि, सुनेमि, जयसेन, महीजय, सुफल्गु, तेज:सेन, मय, मेघ, शिवनंद, चित्रक और गौतम आदि । ये अंत में गजकुमार मुनि का मरण जानकर दीक्षित हो गये थे । विहार करते हुए ये गिरिनार आये और वसुदेव को छोड़ शेष सभी भाईयों सहित इन्होंने मोक्ष प्राप्त किया । महापुराण 70. 95-98, 71. 38, 46, पद्मपुराण - 20.58, हरिवंशपुराण - 1.79,हरिवंशपुराण - 1.18.13, 31. 25, 61.9, 65.16
(2) अयोध्या का इक्ष्वाकुवंशी राजा । इसकी रानी सुबाला थी । चक्रवर्ती सगर के ये पिता थे । महापुराण 48.71-72