स्मरणाभास
From जैनकोष
पद्मपुराण/6/8
अतस्मिंस्तदिति ज्ञानं स्मरणाभासम्; जिनदत्ते से देवदत्तो यथा।8।
देखे व सुने पदार्थ को कालांतर में उसका स्मरण न होकर उसकी जगह दूसरे का स्मरण होना स्मरणाभास है। जिस प्रकार पूर्व अनुभूत जिनदत्त की जगह देवदत्त का स्मरण स्मरणाभास है।