शीलव्रतेष्वनतिचार भावना
From जैनकोष
सर्वार्थसिद्धि/6/24/338/9 अहिंसादिषु व्रतेषु तत्प्रतिपालनार्थेषु च क्रोधवर्जनादिषु शीलेषु निरवद्या वृत्ति: शीलव्रतेष्वनतीचार:। =अहिंसादिक व्रत हैं और इनके पालन करने के लिए क्रोधादिक का त्याग करना शील है। इन दोनों के पालन करने में निर्दोष प्रवृत्ति करना शीलव्रतानतिचार है।
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