विमलवाहन
From जैनकोष
- म.पु./११७-११९ सप्तम कुलकर थे, जिन्होंने तब की जनता को हाथी घोड़े आदि की सवारी का उपदेश दिया।–देखें - शलाका पुरुष।। / ९
- म. पु. /४८/श्लोक–पूर्वविदेह की सुसीमा नगरी के राजा थे।२-४। दीक्षा धारण कर।११। तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध किया।१२। समाधिमरणपूर्वक देह त्याग अनुत्तर विमान में उत्पन्न हुए।१३। यह अजितनाथ भगवान् का पूर्व का दूसरा भव है।–देखें - अजितनाथ।
- म.पु./४९/श्लोक-पुर्वविदेह में क्षेमपुरी नगर के राजा थे।२। दीक्षा धारणकर।७। तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध किया। संन्यास विधि से शरीर छोड़ सुदर्शन नामक नवम ग्रैवेयक में उत्पन्न हुए ।६-९। यह सम्भवनाथ भगवान् का पूर्व का दूसरा भव है।–देखें - सम्भवनाथ।