पंचास्तिकाय
From जैनकोष
विषय - देखें - अस्तिकाय। ग्रन्थराजा शिवकुमार महाराज के लिए आ कुन्दकुन्द / ०(ई० १२७-१७९) द्वारा लिखित१७३ प्राकृत गाथा प्रमाण तत्त्वार्थ विषयक ग्रन्थ। (जै० २/२११)। इस पर आठ टीकायें उपलब्ध हैं -
- आ०अमृतचन्द्र (ई० ९०५-९५५) कृत तत्त्व प्रदीपिका।
- आ० प्रभाचन्द्र नं० ४ (ई० ९५०-१०२०) कृत पञ्चास्तिकाय प्रदीप। (जै०/२/३४७)।
- आ० जयसेन (ई०श० ११ अन्त १२ पूर्व) कृत तात्पर्यवृत्ति (जै०/२/१९२)।
- मल्लिषेण भट्टारक (ई० ११२८) कृत टीका।
- बाल चन्द्र (ई० श० १३ पूर्व) कृत कन्नड़ टीका (जै०/२/१९४)।
- पं० हेमचन्द (ई० १६४३-१६७०) कृत भाषा वचनिका।
- भट्टारक ज्ञानचन्द (ई० १७१८) कृत टीका (पं० का०/प० ३ पं० पन्नालाल)।
- बुधजन (ई० १८३४) कृत भाषा टीका (ती०/४/२९८)।