पद्मप्रभ
From जैनकोष
म. पु./52 श्लोवक धातकीखण्डर के पूर्वविदेह में वत्सहका देश की सुसीमानगरी के अपराजित राजा थे (2-3)। फिर उपरिम ग्रैवेयक के प्रीतिंकरविमान में अहमिन्द्रे हुए (12-14)। वर्तमान भव में छठे तीर्थंकर हुए हैं। विशेष परिचय—दे0तीर्थंकर/5।