भूपाल
From जैनकोष
म.पु./६५/श्लोक नं. भरतक्षेत्रमें भूपाल नामकराजा (५१) युद्ध में मान भंग होने के कारण चक्रवर्ती पदका निदान कर दीक्षा धारण कर ली (५२-५४)। संन्यास मरणकर महाशुक्र स्वर्ग में देव हुआ (५५) यह सुभौम चक्रवर्तीका पूर्वका तीसरा भव है।–देखें - सुभौम।