सीता
From जैनकोष
प.पु./सर्ग./श्लोक-राजा जनक की पुत्री (२६/१२१) स्वयंवर में राम के द्वारा वरी गयी (२८/२४५) वनवास में राम के संग गयी (३१/१९१) वहाँ पर राम लक्ष्मण की अनुपस्थिति में रावण इसे हरकर ले गया (४४/८३-८४)। रावण के द्वारा अनेकों भय देने पर अपने शील से तनिक भी विचलित न होना (४६/८२) रावण के मारे जाने पर सीता राम से मिली (९१/४६)। अयोध्या लौटने पर लोकापवाद से राम द्वारा सीता का परित्याग (९७/१०८९)। सीता की अग्नि परीक्षा होना (१०५/२९)। विरक्त हो दीक्षित हो गयी। ६२ वर्ष पर्यन्त तपकर समाधिमरण किया। तथा सोलहवें स्वर्ग में देवेन्द्र हुई (१०९/१७-१८)।