स्पर्श
From जैनकोष
स्पर्शन का अर्थ स्पर्श करना या छूना है। यहाँ इस स्पर्शानुयोग द्वार में जीवों के स्पर्श का वर्णन किया गया है अर्थात् कौन-कौन मार्गणा स्थानगत पर्याप्त या अपर्याप्त जीव किस-किस गुणस्थान में कितने आकाश क्षेत्र को स्पर्श करता है।
- भेद व लक्षण
- स्पर्श गुण का लक्षण।
- स्पर्श नाम कर्म का लक्षण।
- स्पर्शनानुयोग द्वार का लक्षण।
- स्पर्श के भेद
- निक्षेप रूप भेदों के लक्षण।
- अग्नि आदि सभी में स्पर्श गुण।- देखें - पुद्गल / १० ।
- स्पर्शन नामकर्म का स्पर्श हेतुत्व।- देखें - वर्ण / ४ ।
- स्पर्श नामकर्म की बन्ध उदय सत्त्व प्ररूपणाएँ।-दे.वह वह नाम।
- स्पर्श सामान्य निर्देश
- परमाणुओं में परस्पर एकदेश व सर्वदेश स्पर्श।- देखें - परमाणु / ३ ।
- अमूर्त से मूर्त का स्पर्श कैसे सम्भव है।
- क्षेत्र व काल का अन्तर्भाव द्रव्य स्पर्श में क्यों नहीं होता।
- क्षेत्र व स्पर्श में अन्तर।- देखें - क्षेत्र / २ / २ ।
- स्पर्श विषयक प्ररूपणाएँ
- स्पर्शन प्ररूपणा सम्बन्धी नियम।- देखें - क्षेत्र / ३ ।