अवगाहनत्व
From जैनकोष
सिद्ध जीव के आठ गुणों में एक गुण । गहन वन में तप करने वाले मुनि को प्राप्य यह गुण तीनों लोकों के जीवों को स्थान देने में समर्थ होता है । महापुराण 20.222-223, 39.187 देखें सिद्ध अवग्रह― मतिज्ञान के चार भेदों में पहला भेद― पांच इन्द्रियों और मन इन छ: से होने वाला वस्तु का प्रथम दर्शन और उस दर्शन से होने वाला वस्तु का सामान्य बोध । हरिवंशपुराण 10.146-147 दे मतिज्ञान