धनश्री
From जैनकोष
(1) विजयार्ध की दक्षिणश्रेणी में मेघपुर नगर के राजा धनंजय और रानी सर्वश्री की पुत्री । स्वयंवर में इसने अपने पिता के भानजे हरिवाहन को वरा था । महापुराण 71.252-256, हरिवंशपुराण 33.135-136
(2) भरतक्षेत्र में चम्पानगरी के अग्निभूति ब्राह्मण और अग्निला ब्राह्मणी की पुत्री । यह सोमश्री और नागश्री की बड़ी बहिन थी । सहदेव ब्राह्मण के पुत्र सोमदत्त से विवाहित इसके पति ने वरुण गुरु के पास और इसने अपनी बहिन मित्रश्री के साथ गुणवती आर्यिका के समीप दीक्षा धारण कर ली थी । हरिवंशपुराण 64. 4-6, 12-13 मरकर यह अच्युत स्वर्ग में सामानिक देव हुई । वहाँ से च्युत होकर यह पाण्डु पुत्र नकुल हुई । महापुराण 72.228-237, 262, हरिवंशपुराण 64.111-112, पांडवपुराण 23.78-82, 108-112, 24.77
(3) विदेहक्षेत्र के गन्धिल देश में पलालपर्वत-ग्राम के निवासी देवलिग्राम की पुत्री । यह राजा वज्रजंघ की रानी श्रीमती के पूर्वभव का जीव थी । महापुराण 6.121-135
(4) अंग देश में चम्पानगरा के राजा श्रीषेण की रानी और कान्तपुरनगर के राजा सुवर्णवर्मा की बहिन । महापुराण 75.81-82
(5) धनदत्त की पत्नी । यह रूपश्री की जननी थी । इसने रूपश्री का विवाह जम्बू कुमार के साथ किया था । महापुराण 76.48-50
(6) विदेहक्षेत्र की पुण्डरीकिणीनगरी के निवासी सर्वसमृद्ध नामक वैश्य की स्त्री, धनंजय की अनुजा । महापुराण 47.191-192
(7) पुष्करद्वीप संबंधी भरतक्षेत्र के नन्दनपुर-नगर के राजा अमितविक्रम और उसकी रानी आनन्दमती की पुत्री । इसने सन्यासमरण कर सौधर्म स्वर्ग पाया था । महापुराण 63.12-19
(8) एक व्यन्तरी । यह पूर्व जन्म में पुण्डरीकिणी-नगरी के राजा सुरदेव की रानी पृथ्वी की वसन्तिका नाम की दासी थी । महापुराण 46.351-356