पीठिकामंत्र
From जैनकोष
गृहस्थ को संस्कार युक्त करने के लिए की जाने वाली गर्भाधान आदि क्रियाओं में सिद्ध पूजन पूर्वक प्रयुक्त मंत्र । ये मंत्र सात प्रकार के होते हैं― पीठिका, जाति, निस्तारक, ऋषि, सुरेन्द्र, परमराजादि और परमेष्ठी । पीठिका मन्त्र निम्न प्रकार है―
सत्यजाताय नम:, अर्हज्जाताय नम:, परमजाताय नम:, अनृपमजाताय नम:, स्वप्रधानाय नम:, अचलाय नम:, अक्षयाय नम:, अव्याबाधाय नम: अनन्तज्ञानाय नम:, अनन्तदर्शनाय नम:, अनन्तवीर्याय नम:, अनन्तसुखाय नम:, नीरजसे नम:, निर्मलाय नम:, अच्छेद्याय नम:, अभेद्याय नम:, अजराय नम:, अमराय नम:, अप्रमेयाय नम:, अंगर्भवासाय नम:, अक्षोभ्याय नम:, अविलीनाय नम:, परमधनाय नम:, परमकाष्ठायोगरूपाय नम:, लोकाग्रवासिने नमो नम:, परमसिद्धेभ्यो नमो नम:, अनादि परम्परसिद्धेभ्यो नमो नम:, अनाद्यनृपम सिद्धेभ्यो नमो नम:, सम्यग्दृष्टे-सम्यग्दृष्टे, आसन्नभव्य-आसन्नभव्य, निर्वाणपूजार्ह-निर्वाणपूजार्ह अग्नीन्द्र स्वाहा, सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमृत्युविनाशनं भवतु, समाधिमरणं भवतु । महापुराण 40.10-25,77